राहु और केतु में से किसी भी एक के साथ या इन दो ग्रहों पर मंगल की दृष्टि हो तो जातक की कुंडली में अंगारक योग का निर्माण होता है। अगर इस योग में राहु-केतु और मंगल अशुभ स्थान में हों तो ही ये योग अशुभ फल देता है।
अंगारक दोष के प्रभाव:
इस दोष के प्रभाव में जातक क्रोधी बन जाता है और उसे बात-बात पर गुस्सा आने लगता है। इस पूजन के माध्यम से जातक का स्वभाव शांत बनता है और वो अपने कार्यों को आराम से पूर्ण कर पाता है।
इस दोष से पीडित जातक अपने निर्णय नहीं ले पाते हैं। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं।
अंगारक दोष शांति पूजा
अंगारक दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। अंगारक दोष की शांति के लिए राहू-केतु और मंगल ग्रहों को उनके मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है।
अंगारक दोष निवारण पूजा के लाभ-:
यह पूजा अथवा अनुष्ठान कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।
इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं।
शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।
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